मेरिलिन एडमसन द्वारा लेख
कोरोनावायरस (COVID-19) ने बहुतों के लिए खतरे की घंटी को बढ़ाया है। यह प्रकोप अपनी सूची में नए देश, नई मौतों को जोड़ता जा रहा है।
तथापि, आप अन्य विषय में भी चिंता महसूस कर सकते हैं। प्रत्येक दिन हम बहुत से कारणों का सामना करते हैं जिससे हमें तनाव महसूस होता है।
सूची बहुत लंबी है ... आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, नस्लवाद, युद्ध, सरकार की कमज़ोरियाँ, गरीबी, यौन उत्पीड़न, मानव दासता, प्राकृतिक आपदायें, व्यक्तिगत अर्थव्यवस्था, बीमारी, नौकरी की सुरक्षा, तनावपूर्ण सम्बन्ध, व्यसन, आदि। इनको सूचीबद्ध करना दुखदाई है।
हम केवल इस बात से ही अवगत नहीं हैं कि हमें व्यक्तिगत रूप से क्या प्रभावित कर रहा है। इंटरनेट ने हमें वैश्विक नागरिक बना दिया है। हम प्रत्येक दिन प्रत्येक क्षण दुनिया के प्रत्येक कोने में गंभीर समस्याओं के बारे में जान रहे हैं।
समाचार प्रसारण हमारे डर तथा चिंताजनक बातों पर ध्यान देने की हमारी मानवीय प्रवृत्ति को बढ़ा रहे हैं।
तथापि, कई बार जो चिंता का कारण बनता है वह बहुत व्यक्तिगत होता है। यही हमारे जीवन में हो रहा है।
यह हताशा का वह अनुभव है जिससे हम परिस्थितियों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। हम खतरे में महसूस करते हैं। शक्तिहीन! यह हमारे साथ कुछ किए जाने का डर है और हम इस से बच नहीं सकते और न ही इसे बदलने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
क्या इसके बीच शांति का अनुभव करने का कोई तरीका है? हाँ!
यह लेख आपको कोरोनावायरस प्रकोप या अन्य चिंता उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों के समय में शांति प्राप्त करने के वास्तविक तथा विश्वसनीय तरीके देगा।
आइये, पहले हम चिकित्सा के विषय में कुछ बात करें। यदि आप आमतौर पर चिंता से संघर्ष करते हैं, यदि आपकी चिंता आपको अवसाद और आत्म-हानि में उलझाने का कारण बनती है, तो कृपया चिकित्सा सहायता के लिए डॉक्टर से मिलें। यह एक रासायनिक असंतुलन हो सकता है जिसके लिए दवा की आवश्यकता होती है। कई बार हमारे दिमाग में प्रतिमान, तथा विचार शैली होती है जिन्हें नए वैचारिक प्रतिमान बनाने के लिए चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
जैसे मधुमेह रोगियों को इंसुलिन की आवश्यकता होती है, वैसे ही ऐसी दवाएँ हैं जो आपकी चिंताओं को अधिक निष्पक्ष तथा अधिक शांति से देखने में सक्षम बनाती हैं। दवाओं ने कई चिंताग्रस्त पीड़ितों के जीवन में उल्लेखनीय ढंग से सुधार दिखाया है।
यद्यपि, परिस्थितियों को शांति से और तर्कसंगत रूप से देखने में सक्षम होना समाधान का एक हिस्सा ही है। यह सहायता तो करता है, लेकिन यह एक प्रकार से वास्तविक शांति प्रदान करने को रोक देता है। यह एक ऐसे व्यक्ति की तरह है जिसका पैर टूटा हुआ है और वह उस पैर से चलना बंद कर देता है। यह सहायता तो करता है लेकिन उसका पैर अभी भी टूटा हुआ है।
ऐसा सुनना कि कोरोनावायरस का असर आपके देश में कम हो रहा है अच्छा लगता है, लेकिन चिंता के कई अन्य शक्तिशाली कारण हैं। जीवन चुनौतीपूर्ण है।
आपको आंतरिक शांति की आवश्यकता है जो स्थायी हो, जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद आपके मस्तिष्क और हृदय को आराम करने देती है।
वर्षों तक एक नास्तिक के रूप में, मैंने उस दर्शन, जो हमेशा विश्वसनीय हो, की खोज की। मैं ऐसे दर्शन को चाहती थी जो मेरे जीवनभर मेरा मार्गदर्शन करे और किसी भी परिस्थिति में कार्य कर सके। मैंने सॉर्ट, प्लेटो, सुकरात, डोस्टोयेव्स्की, नीत्शे, ह्यूम, आदि आदि का अध्ययन किया।
मुझे यह पता चला कि दर्शन अपर्याप्त था। मैंने सभी समस्याओं को सीधे अपने कंधों पर छोड़ दिया।
कुछ लोग यह सलाह देते हैं, “परिस्थितियों को अलग प्रकार से देखें, अपने आप से कहें कि यह उतनी बुरी नहीं है।” जब हज़ारों लोगों को कोरोनावायरस (कोविड 19) से ग्रसित होने का पता चल रहा है और मृत्यु दर बढ़ रही है ऐसे में कोरोनावायरस (कोविड 19) को अलग रूप से देखना कठिन है।
किसी भी परिस्थिति के बावजूद, वास्तविक शांति के लिए मेरी खोज में धर्म भी खोखला लगा था। मैं रीति - रिवाज़, ध्यान, सिद्धांत को नहीं खोज रही थी।
मैं वास्तविक कठिनाइयों के लिए जीवन में क्षमता जानती थी। मैं एक विश्वसनीय दॄष्टिकोण को जानना चाहती थी चाहे जीवन में कुछ भी क्यूँ न झेलना पड़े।
बहुत से लोग आशा रखते हैं कि विज्ञान कोरोनावायरस के उपचार और रोकथाम दोनों को खोज लेगा। तथापि, वायरस चला जाता है, तौभी ऐसा हो सकता है कि किसी परिवर्तित रूप में यह वर्षों तक हमारे साथ रहे। विज्ञान सर्वज्ञानी या सर्वशक्तिमान नहीं है।
जब मैं अनन्त शांति के स्रोत की खोज कर रही थी, मैं एक ऐसे व्यक्ति की मित्र बनी जिसके जीवन की मैं प्रशंसा करती थी। वह अक्सर परमेश्वर के बारे में बात करती थी। इस बात ने मुझे आश्चर्यचकित किया कि क्या वास्तव में परमेश्वर का अस्तित्व है।
परमेश्वर के अस्तित्व की सम्भावना ने मुझे प्रश्न करने, शोध करने, और दॄढ़ रूप से शक्तिशाली बचाव करने को अग्रसरित किया। जो वास्तविक नहीं था उस पर विश्वास करके मैं मूर्ख नहीं बनना चाहती थी।
लगभग डेढ़ वर्ष की गंभीर खोज करने के पश्चात, परमेश्वर का प्रमाण इतना प्रभावी होने लगा जिसको अनदेखा नहीं किया जा सकता था। यह विज्ञान ही था जो मुझे परमेश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करने की ओर लाया… पृथ्वी की सूर्य से उचित स्थिति, पानी के जटिल गुण, मानव शरीर की संरचना, आदि।
मैंने परमेश्वर को अपने जीवन में आने को कहा ताकि मेरा उनके साथ व्यक्तिगत सम्बन्ध हो।
मैंने इस बात को पाया कि वास्तव में 'परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।'1
यह जानने कि परमेश्वर विद्यमान हैं और वह वास्तव में हमारे बारे में चिंता करते हैं, का हमारे शांति के साथ रहने की योग्यता पर एक गहरा प्रभाव है,परिस्थितियां चाहे जो भी हों।
मैं आपको बताती हूँ। कल्पना कीजिये एक शरारती बच्चे द्वारा परेशान किये जा रहे एक 8 साल के छोटे लड़के की। प्रतिदिन उसका लंच ले लिया जाता है। उसे शारीरिक तौर पर परेशान और मज़ाक करने के लिए अपमानित किया जाता है। वह उस शरारती लड़के से बात करने की कोशिश करता है, परन्तु कोई फायदा नहीं होता। वह शरारती लड़के से बचाव का प्रयास करता है तथा उसमें भी असफल होता है। वह अपने शिक्षक को बताता है किन्तु इससे भी ज्यादा लाभ नहीं मिलता है।
तब एक दिन एक बड़ा विद्यार्थी (उस शरारती लड़के से कहीं बड़ा) सहानुभूतिपूर्वक आता है और उस शरारती लड़के को बताता है कि इस विद्यार्थी को डराने के दिन पूरे हो गए हैं। त्रस्त विद्यार्थी को अब शांति मिल जाती है। शरारती लड़का अभी भी है, लेकिन 8 साल का विद्यार्थी तसल्लीपूर्वक रह सकता है क्योंकि कोई उससे बड़ा उसकी देखभाल कर रहा है।
हमें भी जीवन में ऐसी ही सहायता मिल जाती है। परमेश्वर उस किसी भी समस्या, जिसका हम सामना करते हैं, से बड़ा है जिसमें इस महामारी का वायरस भी शामिल है। उसने हमें बनाया है तथा वह हमारी देखभाल करने के लिए इच्छुक है और चाहता भी है।
जीवन के दबाव में, यीशु विनम्रता से कहते हैं, “हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।”2
यह वह परमेश्वर हैं जिन्होंने सृष्टि की रचना की, तारामण्डलों तथा ग्रहों, करोड़ों जीवनों और पौधों की प्रजातियों, एक जटिल पारिस्तिथिक तंत्र तथा मानव जीवन की रचना की। “उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं है।”3 वह सहायता करने के लिए हमें अपनी ओर आमंत्रित करते हैं।
यीशु ने निरंतर परमेश्वर को ‘स्वर्गीय पिता जो हम से प्रेम करते हैं’, के रूप में वर्णित किया।
कोरोनावायरस (कोविड-19) के बारे में हमारे सबसे बड़े भय में से एक इससे अकेले गुज़रना या इसका सामना करने में हमारी अथवा हमारे प्रियजनों की भावनात्मक अथवा शारीरिक शक्ति का ना होना है। यह बात हमें डराने वाली प्रत्येक वस्तु के लिए सत्य है। “क्या मैं कर पाऊंगा?”
परमेश्वर, जिसने आपको रचा है, आपके विषय में सब कुछ जानते हैं। आपकी पृष्ठभूमि, आपके साथ जो घटनाएँ हुईं, आपकी उपलब्धियाँ, सपने जो आपके जीवन के लिए हैं (या उससे सम्बंधित कमी), आपके दर्द, आपका भविष्य, सम्बन्ध- पूर्णत: सब कुछ। यीशु ने कहा कि वह आपके छोटे से छोटे, तथा महत्वहीन विवरण जानते हैं, “तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं।”4
“हे यहोवा, तू ने मुझे जाँचकर जान लिया है। तू मेरा उठना - बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। मेरे पूरे चालचलन का भेद जानता है। मेरे मुँह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।”5
वह आपके विषय में सब जानते हैं। इस संसार में सबसे सुरक्षित सम्बन्ध जो हमारा हो सकता है वह परमेश्वर जो हम से प्रेम करते हैं के साथ सम्बन्ध है।
परमेश्वर ने ऐसा कभी नहीं चाहा कि हम इस जीवन में अपने आप चलें। परमेश्वर हमें अपने मार्गदर्शन में एक भिन्न जीवन में चलाना चाहते हैं। हमको अंधकार तथा अनिश्चितता में ठोकर खाने की ज़रूरत नहीं है।
'यीशु ने कहा, “जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा वह अंधकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।”6
हम आमंत्रित हैं, “अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है।”7
परमेश्वर के साथ सम्बन्ध होने में भी ऐसा ही होता है, जो सम्बन्ध वह हर किसी को देते हैं। बाइबल परमेश्वर को ‘अद्भुत युक्ति करनेवाला’, ‘अनन्तकाल का पिता’, ‘शांति का राजकुमार’ और ‘पराक्रमी परमेश्वर’, के रूप में वर्णित करती है। और वह यह सब हैं।
साथ ही, मुझे रेखांकित करने दें, परमेश्वर के साथ सम्बंधित होने का यह अर्थ नहीं होता कि हम जीवन की समस्याओं से बच जाते हैं।
मेरे जीवन में एक समय था जब मेरे साथ एक घटना हुई जिसका मैं कुछ नहीं कर सकी। मेरे चार महीने की गर्भावस्था में मुझे बताया गया कि कुछ समस्याएं हैं। मैं परमेश्वर को अच्छे से जानती थी कि मैं उस (परमेश्वर) पर इस परिस्थिति में विश्वास कर सकती थी, चाहे परिणाम जो भी हो। हमारा बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ। चूँकि मैं इसके बारे में परमेश्वर पर विश्वास कर पायी मैंने कभी कड़वाहट, क्रोध या चिंता से संघर्ष नहीं किया हालाँकि मुझे बहुत दुःख था।
हालांकि एक भावना थी जिसने मुझे आश्चर्य में डाल दिया। हमारे बच्चे की मृत्यु के पश्चात्, इस सम्भावना से कि मेरे पति भी मर रहे हैं, भय के साथ मेरा संघर्ष प्रारम्भ हो गया। मैंने परमेश्वर से कहा कि इस भय से बात कीजिये, मुझे दिखाइए कि मैं कैसे इसको उचित तरह से देखूँ।
जब परमेश्वर ने मुझे भजनसहिंता में से वचन पढ़ने के लिए उभारा तो मेरा उत्तर शीघ्र मिला:
'हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है। तू ने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है, - कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी...'8
मैं जानती थी कि परमेश्वर यह प्रतिज्ञा नहीं करते कि कोई नहीं मरेगा। परमेश्वर यह प्रतिज्ञा नहीं करते हैं। तथापि, मेरे शरणस्थान के रूप में परमेश्वर, जिस पर मैं भरोसा करती हूँ, मेरे लिए बुराई नहीं बनने देंगे चाहे मेरे पति मर भी जायें। परमेश्वर इस से मुझे पराजित, नष्ट तथा हानि नहीं होने देंगे। मैं ठीक रहूँगी।
“कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी।” परमेश्वर सीमा तय कर देते हैं। यदि हम उस पर विश्वास करेंगे, हम परिस्थितियों से भिन्न रूप से गुज़र सकते हैं...शांति के साथ।
यीशु ने कहा, “संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढांढ़स बाँधो, मैंने संसार को जीत लिया है।”9
पृथ्वी जिस पर हम अभी हैं लगभग 1000 मील प्रति घंटा (1600 किमी प्रति घंटा) की रफ़्तार से घूम रही है। फिर भी हम बिल्कुल शांत महसूस करते हैं तथा सूर्योदय और सूर्यास्त की सुंदरता का आनंद लेते हैं जिन्हें यह घुमाव (पृथ्वी का घूमना) बनाता है।
पृथ्वी 67,000 मील प्रति घंटे की यात्रा करते हुये सूर्य के भी चारों ओर घूम रही है। इतनी गति होने पर भी यह सूर्य से सटीक दूरी बनाये हुए है, न ज्यादा दूर, न ज्यादा पास।
इसी प्रकार से वह परमेश्वर अरबों आकाशगंगाओं को जानते हैं तथा परमेश्वर आपके जीवन की छोटी और बड़ी बातों से अवगत हैं। और वह आपसे प्रेम करते हैं।
वह आपसे प्रेम करते हैं, इसलिए नहीं कि आप या मैं इसके लायक हैं, लेकिन इसलिये कि प्रेम करना और जो लोग उन पर भरोसा करेंगे उनका ख्याल रखना उनका स्वभाव है।
परमेश्वर कहते हैं, 'मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ, इधर-उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ; मैं तुझे दॄढ़ करूँगा और तेरी सहायता करूँगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्भाले रहूँगा।10
'क्या तुम नहीं जानते? क्या तुमने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है। वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है।' 'तरुण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएँगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।'11
यीशु ने कहा, 'मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन व्याकुल न हो और न डरे।'12 वह प्रत्येक समस्या जिसका हम सामना करते हैं, से बड़े हैं।
कोरोनावायरस (COVID-19) या किसी भी गंभीर मुद्दे की चिंता के बारे में स्वतंत्रता यह जानना है कि परमेश्वर सक्षम हैं, वह परवाह करते हैं और आपकी ओर से कार्य करेंगे।
यदि आप परमेश्वर के साथ संबंध शुरू करना चाहते हैं और अपने लिए उसके प्यार को जानना चाहते हैं, तो यह पढ़ें: परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से जानना।
► | परमेश्वर के साथ एक रिश्ता शुरू कैसे किया जाए |
► | मेरा एक सवाल है … |
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