क्या कभी आपने शुरुआत के विषय में सोचा है ? आप बताइए, वह क्या है ? आप जानते हैं - वह जो कुछ भी था, सबसे पहले वह दिखा या वह जो कुछ भी था, वह समय के प्रारंभिक पलों में पहले से यहाँ था। क्या आपने यह सोचने में कभी अपने दिमाग पर जोर डाला है ?
एक मिनट रुकिए, आप कहते हैं क्या यह संभव नहीं है कि कई अरबों सालों पहले, कहीं कुछ भी नही था ? यह सिद्धांत वास्तव में विचार करने योग्य है। सादृश्य के ऱास्ते इसपर विचार किया जाए।
मान लीजिए, आपके पास एक बड़ा बंद कमरा है। उसका आकार एक फुटबॉल के मैदान के बराबर है। कमरा स्थायी रूप से बंद है। उसमें दरवाजे, खिड़कियाँ नहीं हैं और उसकी दीवारों में छेद भी नहीं है।
कमरे के अंदर कुछ नहीं है। किसी भी चीज का और धूल का एक कण भी नहीं है। हवा और प्रकाश भी नहीं है। वह एक मोहरबंद कमरा है जिसमें अंदर बिल्कुल काला अंधेरा है। फिर क्या होता है ?
अब मानिए, आपका लक्ष्य है कि आपको कमरे में कुछ ले जाना है। कछ भी। पर नियम यह है कि आप कमरे में बाहर से कुछ भी नहीं ले जा सकते। तब आप क्या करेंगे ?
अब आप सोचेंगे, क्या होगा, अगर मैं कमरे के अंदर एक चिनगारी पैदा करने की कोशिश करूँ ? तब , कम से कम एक पल के लिए कमरे में रोशनी हो जाएगी। यह उस कुछ को नियम के अनुकूल करती है। पर आप कमरे के बाहर हैं अतः इसकी अनुमति नहीं है।
पर आप कहेंगे, अगर मैं कुछ को कमरे में टेलीपोर्ट करूँ, जैसे स्टारट्रैक में। पर, इसकी भी अनुमति नहीं है।
यहाँ फिर दुविधा है, आपको कमरे की वस्तु का प्रयोग कर कुछ कमरे में लाना है और कमरे में कुछ नहीं है।
आप कहेंगे, शायद कोई चीज - एक लघु कण, यदि उसे पर्याप्त समय दिया जाय अचानक कमरे के भीतर दिख जाए।
इस सिद्धान्त के साथ तीन समस्याएँ हैं। पहली, समय स्वयं कुछ नहीं करता। चीजें समय के साथ होती हैं, पर समय उनके होने का कारण नहीं है। उदाहरण –अगर आप 15 मिनट बिस्कुट के सिकने का इंतजार कर रहे हो तो ये वे 15 मिनट नहीं है, जो उसे सेक दें। उसे सेकनेवाली चूल्हे की गर्मी है। अगर आप बिस्कुट को 15 मिनट के लिए पटल या काउन्टर पर सजा दें तो वह नहीं सिकेगी।
अनुरूपता के अनुसार, हमारे पास एक बिल्कुल बंद कमरा है जिसमें कुछ भी नहीं है। 15 मिनट इंतजार करने के बाद अपनेआप स्थिति नहीं बदलेगी। अब आप कहेंगे, अगर हम युगों तक इंतजार करें, तब ? युग केवल 15 मिनट के खंडों का एक गुच्छा है जिन्हें एक साथ दबाया गया है। अगर आप अपनी बिस्कुट को पटल या काउन्टर पर रखकर एक युग तक इंतजार करेंगे तो क्या युग उसे सेक देगा ?
दूसरी समस्या यह है : कुछ भी एक खाली कमरे में अचानक क्यों दिखाई देगा? दिखाई देने का कोई कारण होना चाहिए। पर कमरे के अंदर कहीं भी कुछ नहीं है। ऐसा क्या है : जो मामले को बचे रहने से रोकेगा ? कमरे के अंदर ऐसा कहीं भी कुछ नहीं है जो कुछ दिखने का कारण हो (पर वजह भी कमरे के भीतर से आनी चाहिए )
अब आप कहेगे, किसी भी चीज के सबसे छोटे कण के पास कमरे में कार्य करने का मौका ज्यादा है, बजाय किसी बड़ी चीज के। जैसे- एक फुटबॉल
तीसरी समस्या आकार की है। जैसे- समय। आकार अमूर्त है। वह संबंधित होता है। मान लीजिए, आपके पास तीन बेस बॉल हैं। सबका आकार अलग है। एक 10 फीट चौड़ा है, दूसरा 5 फीट और तीसरा सामान्य आकार का है। तीनों में से ज्यादा कार्य कौन सा बॉल कर सकता है ?
सामान्य आकार का बेस बॉल नहीं, तीनों की संभावना एक सी है।आकार से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मुद्दा यह नहीं है। मुद्दा यह है कि किसी भी आकार का कोई भी बेस बॉल हमारे खाली बंद कमरे में क्या दिखाई देगा ?
अगर आप सोचते हैं कि सबसे छोटा बेस बॉल भी कमरे में नहीं दिखाई देगा भले ही कितना समय बीत जाए। तब आप इस निष्कर्ष पर पहुँचेंगे कि एक परमाणु के साथ भी ऐसा होगा। आकर मुद्दा नहीं है। बिना कारण के एक परमाणु के और बिना कारण के एक फ्रिज के कार्य करने की संभावना में कोई अंतर नहीं होगा।
अब हम अपनी समरूपता को और आगे बढ़ाते हैं। हम अपने बड़े काले अंधेरेवाले कमरे को ले लेते हैं। उसकी सभी दीवारों को हटा देते हैं। हम उस कमरे को बढ़ा देते हैं ताकि वह हर दिशा में अपरिमित बढ़ जाए। अब उस कमरे के बाहर कुछ नहीं है। अब वहाँ केवल कमरा है, अवधि है।
उस काले, अपरिमित कमरे में प्रकाश, धूल, किसी तरह का कोई कण,हवा,तत्व,अणु नहीं है। यहाँ बिल्कुल कुछ भी नहीं है। हम उसे बिल्कुल कुछ नहीं की अवस्था कह सकते हैं।
अब प्रश्न यह है अगर मौलिक रूप से अरबों साल पहले, बिल्कुल कुछ भी नहीं था, आज बिल्कुल कुछ भी नहीं होना चाहिए।
हाँ, कुछ – कितना छोटा, इससे फर्क नहीं पड़ता। बिल्कुल कुछ भी नहीं से कुछ नहीं आ सकता है। हमें आज भी बिल्कुल कुछ नहीं दिखेगा।
यह हमें क्या बताता है ? यह बताता है कि बिल्कुल कुछ भी नहीं का कभी अस्तित्व ही नहीं था। क्यों ? क्योंकि, अगर बिल्कुल कुछ भी नहीं का अस्तित्व होता तो, आज भी बिल्कुल कुछ नहीं दिखता।
अगर बिल्कुल कुछ भी नहीं का कभी भी अस्तित्व होता तो, उसके बाहर भी कुछ नहीं होता जिसके कारण किसी चीज का अस्तित्व होता।
फिर से, अगर बिल्कुल कुछ भी नहीं का कभी भी अस्तित्व होता तो , आज भी बिल्कुल कुछ नहीं होता।
फिर भी, कुछ का अस्तित्व है। असल में बहुत सी चीजों का अस्तित्व है। उदाहरण के लिए आप,एक मुख्य कुछ हैं जिसका अस्तित्व है। अतः आप इसका सबूत हैं कि बिल्कुल कुछ नहीं कभी नहीं था।
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