अज्ञात द्वारा
एक कहावत जो प्रचलित है, “सबसे अच्छी योजना वह है जिसमें दूसरों की मूर्खता से लाभ मिले।” उसी के बारे में यह लेख है। कुछ चीजें, जो मैंने लड़कियों और रिश्तों के बारे में कठिनाई से सीखी है, आपके साथ बाँटना चाहता हूँ। यहां विशिष्ट रूप से मैंने दस कारण लिखे हैं जो यह बताते हैं कि मैं क्यों यौन क्रिया के लिए शादी तक रुकना चाहता हूँ।
जब मैं कॉलेज में था, मुझे एक अनुभव याद है जिसे मैं प्रेम के खुमार का संदर्भ कहता हूँ। एक लड़की के साथ रात बिताने के बाद भी दूसरे दिन सुबह मुझे हमेशा एक खालीपन महसूस होता था। वैसा कुछ जो आप टीवी या चलचित्र में नहीं देखते हैं, पर बहुत बार ऎसा महसूस होता है। एक खालीपन, बाद में एक भूल का एहसास।
प्रेम का खुमार मेरे लिए एक अनोखी घटना थी। मुख्यतः क्योंकि जब मैं कॉलेज में था, यौन मेरे लिए ईश्वर के समान था। एक पुरुष के लिए वही सबकुछ था जिसे मैं सुबह , दोपहर और ऱात को सोचा करता था। अतः आप कल्पना कीजिए यौन संबंध जो पूरी तरह पूर्णता प्रदान करनेवाला था – मेरे देवता की पूजा में गौरवपूर्ण उपलब्धि था, फिर भी, कभी – कभी बाद में पूर्णता की कमी महसूस होती थी।
क्या आपका भी यही अनुभव है ? क्या आपको भी कभी प्रेम की खुमारी रही थी ? अगर थी, तो आप रूककर विचार कीजिए, ऐसा क्यों है ? वही यौन, जो मेरे लिए इतना महत्वपूर्ण है, क्यों मुझे खालीपन की अनुभूति कराता है ?
मुझे याद है, उस खालीपन के कारण मैं भ्रम में पड़ गया था। तब मैंने यह निष्कर्ष निकाला, मुझे केवल और ज्यादा यौन की जरूरत है, बस। ( हम अक्सर किसी भी चीज के बारे में इसी तरह सोचते हैं जिससे हमें लगता है कि हम संतुष्ट होंगे पर वैसा नहीं होता। उदाहरणस्वरूप, हमें वह मोटरगाड़ी मिलती है जिसे पाने की हमेशा से हमारी इच्छा थी, पर थोड़ी देर के बाद हमारी इच्छा “ ठीक है ” पर स्थानान्तरित हो जाती है। यह महसूस करने के बदले कि एक मोटरगाड़ी वास्तव में हमें कभी तृप्त नहीं कर सकती, हम बहुधा ऐसा सोचने की भूल करते हैं, मुझे लगता है कि शायद वह मेरे लिए सही मोटरगाड़ी नहीं थी, दूसरी गाड़ी मुझे चरम संतुष्टि देगी।)
पर खालीपन खत्म नहीं हुआ, चलता ही रहा। अंत में मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि शादी के पहले का यौन संबंध वैसा नहीं होता है जैसा आकर्षक वह लगता है। उसका प्रचार ज्यादा हुआ है। चलचित्रों में जैसा दिखाते हैं वैसा कुछ भी नहीं है। यदि ऐसा होता तो वह पूर्ण पूर्णता प्रदान करता। कहीं कोई खालीपन नहीं रहता।
मैंने जाना कि जब यौन संबधों की बात आती है तो ज्यादातर लड़कियों की समझ में नहीं आता कि क्या हो रहा है। वह इसलिए कि इस विषय में उनका दृष्टिकोण लड़कों से बिल्कुल अलग होता है। अक्सर एक लड़की यौन का औचित्य साबित करने के लिए यह कहती है, “ पर मैं उसे प्यार करती हूँ ।” भले ही वह उसके साथ उस संबंध में नहीं जाना चाहती। ऐसा क्यों होता है? लड़कियाँ प्यार को पाने के लिए यौन का सहारा लेती हैं और लड़के यौन को पाने के लिए प्यार का सहारा लेते हैं।
यह इस प्रकार कार्य करता है : लड़की लड़के के साथ कभी शादी करने का ख्वाब देखती है। लड़का अपने दोस्तों को वापस जाकर बताने के पहले लड़की के साथ उस सबकुछ का ख्वाब देखता है जो सबकुछ वह लड़की के साथ करना चाहता है। लड़की का अन्तर्मन उससे कहता है कि ऐसा करना सही है, जबकि लड़के का अन्तर्मन उससे इसके विपरीत कहता है, फिर भी वह आगे बढ़ता है। क्यों ? निःसंदेह शारीरिक आनंद के लिए। लेकिन मैं सोचता हूँ इसका एक और कारण है : यह उसे एक पुरुष की तरह महसूस कराता है। पर इसमें एक बड़ी विडम्बना है, एक औरत को धोखा देने में पुरुषत्व कहाँ से आया ?
कुछ मैंने खोज निकाला है और वह यह है कि जब आप एक औरत को सम्मान देते हैं, तो आप स्वयं को सम्मानित करते हैं। क्यों ? क्योंकि किसी दिन आपको पछतावा होगा और पछतावा हमेशा आनंद से ज्यादा समय के लिए रहता है। रॉब रॉय चलचित्र में, मुख्य भूमिका निभानेवाला अभिनेता कहता है, प्रतिष्ठा एक उपहार है जो एक पुरुष अपने आप को देता है। जब आप किसी महिला को यह जानते हुए कि आप जो कर रहे हैं वह आपके दिल के अनुसार सही है, प्रतिष्ठा देते हैं (जो उसके लिए सबसे अच्छा हो ), आप अपने आप को सम्मानित करते हैं। आप यह सुरक्षित कर लेते हैं कि आप को कभी किसी पछतावे के साथ जीवन व्यतीत नहीं करना पड़ेगा।
यहाँ मेरा मतलब है : ज्यादातर लड़कियाँ जिनके साथ मेरा संबंध रहा है उनका अब दूसरे पुरुषों के साथ विवाह हो चुका है। मैं जब अपने आपको उन दूसरे पुरुषों की जगह रखता हूँ तो मैं यह सोचता हूँ कि जो मैंने किया वह मुझे नहीं करना चाहिए था। वास्तव में, उसके लिए मुझे अपनी नाक पर घूँसा मारने का मन करता है।
इसलिए बिना कहे ही यह बात मेरी समझ में आती है कि जब मेरी शादी होगी, मुझे यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आएगी कि किसी और ने मुझसे पहले मेरी पत्नी का उपयोग किया है। आपका क्या ? क्या आपको यह बात पसंद आएगी कि कोई और आपसे पहले आपकी पत्नी के साथ था ? अगर अभी आपकी कोई स्त्री दोस्त है और उसके साथ आपको यह अनुभूति होती है, तो सोचिए वह अनुभूति आपकी पत्नी के प्रति किसी दिन कितनी ज्यादा मजबूत होगी।
आप इसे एक कदम और आगे ले जा सकते हैं। वह लड़की किसी की बेटी है। अगर वह मेरी बेटी होती या मेरी बहन होती तो क्या होता ? क्या मैं अपने जैसा कोई व्यक्ति चाहता जिसने पहले लड़कियों का फायदा उठाया हो। अब मैं लड़कियों को एक दूसरे दृष्टिकोण से देखता हूँ। भविष्य में वे किसी की पत्नी, बहन या बेटी होंगी।
उदाहरणस्वरूप- कॉलेज में मेरी एक प्रेमिका थी जो मेरे सपनों की रानी थी। उसके साथ कोई भी क्षण सुस्ती से भरा नहीं होता था। हम दोनों पूर्ण रूप से एक दूसरे से खुश थे। हमने कुछ इंतजार किया, फिर, मेरी पहल के कारण हम दोनों ने यौन संबंध बनाए।
जल्दी ही यौन हमारे रिश्ते का आधार बन गया। मैंने किसी भी दूसरे स्तर पर उसके बारे में और जानकारी पाने की इच्छा को समाप्त कर दिया। इस प्रकार एक दूसरे के और करीब आने के बजाय वास्तव में हम एक दूसरे से दूर होने लगे। मेरे यह कहने का कि मेरे यौन संबंधों ने मेरे उत्तम रिश्तों की हत्या कर दी का यही अर्थ है। लोग विभिन्न स्तरों पर संबंधित होते हैं – संवेगात्मक, मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से। पर जब मेरी प्रेमिका का और मेरा रिश्ता ज्यादातर शारीरिक ही रहता था तब उसके कारण हमारे रिश्ते के दूसरे पक्ष खत्म से हो गए। उसका परिणाम यह हुआ कि हमारा रिश्ता
पूर्णता की ओर जाने के बजाय खत्म होने लगा। हम शायद आज भी साथ होते अगर हमने ( मैंने ) यौन संबंन्ध का इंतजार किया होता। मैंने असंख्य रिश्तों के साथ ऐसा होते हुए देखा है। केवल मेरे दूसरे रिश्तों के साथ ही नहीं, बल्कि दूसरे लोगों के रिश्तों के साथ भी। मैं सोचता हूँ इसका एक कारण है, जिसका विवरण मैं आगे दूँगा।
जब मैंने एक बार एक लड़की के साथ यौन संबंध बनाए तो मेरे साथ दो चीजें हुईं। जब मैं पीछे की तरफ दृष्टि डालता हूँ, तो मैं बता सकता हूँ कि हर बार ऐसा हुआ, हालांकि मैं इस बात से अनभिज्ञ था। वे दो चीजें थीं: 1. मैंने उस लड़की के लिए आदर की भावना खो दी थी। ( हालांकि मैं ऐसा करना नहीं चाहता था ) 2. उस लड़की का मेरे ऊपर से विश्वास उठ गया था। ( हालांकि वह भी ऐसा करना नहीं चाहती थी )
मैं नहीं जानता कि ऐसा क्यों हुआ? सिर्फ यह जानता हूँ कि ऐसा हुआ। हो सकता है कि यह हमारी प्रणाली के साथ बना हो। एक बात तो तय है मैं अकेला नहीं हूँ। मैंने ऐसा होते हुए बार – बार देखा है। मैं बहुत से लोगों को जानता हूँ जिनके वैवाहिक जीवन में कई समस्याएं आयीं क्योंकि उनका शादी से पहले यौन संबंध था। शादी के बाद उनमें विश्वास और आदर दोनों भावनाओं की कमी रहती थी जो कि किसी भी स्वस्थ वैवाहिक जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
मैं एक ऐसे दम्पत्ति को जानता हूँ जिनकी अभी – अभी शादी हुई है। उनमें इसी कारण से यौन संबंध महीने में एक बार से भी कम होता है। पुरुष के मन में अपनी पत्नी के लिए आदर नहीं है। वह इस बात को जानती है। वह अपने पति पर विश्वास नहीं करती है। अतः वह अपनेआप को उसे सौंपना नहीं चाहती है। इसे देखकर बहुत दुख होता है, पर आप सोच भी नहीं सकते कि यह आम कारण है। आम जनता के सामने इस तरह के विषय पर कोई चर्चा नहीं करता। चलचित्रों और दूरदर्शन में भी उन जोड़ों, जिनका शादी से पहले यौन संबंध था, की समस्या के बारे में कोई चर्चा नहीं होती। कोई भी इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहता है कि ऐसा हो रहा है, जबकि ऐसा होता है।
क्यों ? क्योंकिजब हमारी शादी होगी तो मैं अपनी पत्नी को ज्यादा आदर दूँगा और वह मुझपर ज्यादा –
विश्वास करेगी। एक बात मैंने सीखी है, अगर एक लड़की लड़के पर विश्वास नहीं करती है तो वह अपने आप को पूर्णता से उसे प्रदान नहीं करती हैं। अपने मन की गहराई में, वह उस पुरुष के साथ आनंद का अनुभव नहीं करती है।
यह इसी तरह काम करता है। जैसे कि लड़कियाँ यौन का प्रयोग प्रेम पाने के लिए करती हैं,पर लड़के प्रेम का प्रयोग यौन पाने के लिए करते हैं। कुछ जोड़े शादी के पहले यौन संबंध बनाते हैं। लड़की अपने रिश्ते को कायम रखने के लिए ऐसा करती हैं। लड़का इसलिए ऐसा करता है क्योंकि वह अपने रिश्ते से ज्यादा यौन चाहता है। शादी के बाद स्त्री को वह मिलता है जो वह चाहती है: पुरुष से प्रतिबद्धता। अतः पुरुष को पाने के लिए उसे यौन के प्रयोग की अब और जरूरत नहीं होती और वह असंतोष की शरण में होती है क्योंकि पुरुष ने उसके साथ शादी के पहले यौन संबंध बनाया था। वह यौन में रुचि नहीं लेती है। पुरुष – जो पत्नी की सुरक्षा की परवाह नहीं करता क्योंकि उसने उसके साथ पहले यौन संबंध बनाए थे। अपनी पत्नी से यौन तो वह अब भी चाहता है, पर पूर्ण संबंध के अनुभव के साथ नहीं। केवल यौन, जिसका पत्नी को पता चल जाता है। अतः शादी के बाद उनका यौन संबंध बहुत ही घटिया रहता है।
मैं यह बात बना नहीं रहा हूं। अब मैं कॉलेज से निकल गया हूँ और मेरे आस – पास के लोगों की शादियाँ हो रही हैं। मैं हर समय यह होते हुए देख रहा हूँ। विषहर औषध: यौन के लिए शादी का इंतजार पुरुष को अपनी पत्नी के लिए और पत्नी को पति के लिए उचित सम्मान का अनुभव कराता है। फलस्वरूप वे एक उत्तम और जल्दी – जल्दी यौन संबंध बनाते हैं क्योंकी वे एक दूसरे का ज्यादा सम्मान करते हैं और एक दूसरे को गहराई से प्यार करते हैं।
यौन एक रहस्यमय चीज है जो लोगों के बीच एक गहरा रिश्ता कायम करती है, भले ही हम उसे आकस्मिक कहें। समस्या यह है: जितना ज्यादा मैं दूसरी लड़कियों से संबंध बनाउँगा, उतना ही कम संबंध मैं अपनी भविष्य में होनेवाली पत्नी के साथ बना पाऊँगा।
यह स्कॉच टेप के एक टुकड़े की तरह है। अलग –अलग सतहों पर आप जितना ज्यादा उसका प्रयोग करते हैं, उतनी ही कम वह चीजों के साथ चिपकती है। उसके बाद वह किसी भी चीज के साथ नहीं चिपकती।
अगर मैं शादी से पहले दूसरी लड़कियों के साथ संबंध बनाता हूँ तो मैं अपनी पत्नी के साथ अच्छे संबंध नहीं बना पाऊँगा। किसी दिन मैं उसका उतना आनंद नहीं उठा पाऊँगा जितना मैं पहले उठाता था। फलस्वरूप, मैं उससे उतना प्यार भी नहीं कर पाऊँगा जितना पहले करता था। अगर मैं अपनी पत्नी के प्रति वफादार रहूँगा तो हर दिन जो बीतेगा उसके साथ मेरी पत्नी का रिश्ता मेरे साथ बेहतर होता जाएगा।
यह एक हास्यजनक चीज है: हमारी संस्कृति परस्त्रीगमन की निंदा करती है। फिर भी शादी के पहले के यौन संबंध को आजादी से बनने देती है, भले ही उसमें विभिन्न सहभागी हों। यह दोषपूर्ण है क्योंकि यदि आप समय के तत्व के साथ समीकरण से बाहर इसे देखें तो यह परस्त्रीगमन ही कहलाएगा। हम कल्पना कर सकते हैं परस्त्रीगमन किस प्रकार एक विवाहित जीवन के रिश्ते को चोट पहुँचा सकता है। हो सकता है शादी से पहले का यौन भी हमें यही फल दे। यह एक औरत और मर्द के संभावित बंधन को आहत कर देता है।
यौन एक रिश्ते का अभिनंदन करता है, उसे मुबारकबाद देता है। वह उसका मुख्य पहलू नहीं है। मुझे यही समझ में आया है। जब आपके बाकी सभी संबंध अच्छी तरह से काम कर रहे हैं तब यह संबंध केक के ऊपर आइसिंग ( सजावट ) के समान है। यौन तभी अच्छा हो सकता है जब बाकी संबंध अच्छे हैं। इसीलिए मैं जानता हूँ कि मुझे यह जानने के लिए कि मेरी पत्नी“यौन संगत” हैंया नहीं उसके साथ सोने की जरूरत नहीं है। अगर हम दूसरे सभी क्षेत्रों में एक दूसरे से मेल खाते हैं तो यौन अपने आप सही होगा।
यहाँ कुछ और कहने की आवश्यकता है। दूसरी चीज जो मैं सोचता हूँ कि मैंने “खोजी” है वह यह है: जब आप यौन को रिश्ते का निर्धारण कारक रखते हैं, तब उसका परिणाम घटिया यौन होता है। उसके बारे में सोचिए। अगर आप अपने यौन संबंधों को एक माइक्रोस्कोप के नीचे देखेंगे और हमेशा अपने संबंधों का मूल्यांकन यौन संबंधों के आधार पर करेंगे तो आप उसमें अवश्य विफल होंगे।यह जेल में होने के बराबर
है। आप को किसी ऐसी चीज में बंद कर दिया गया है जो आप को आजादी देनेवाली होनी चाहिए थी, न कि अपाहिज करनेवाली।
पर, अगर आप रिश्तों के दूसरे हिस्सों पर नजर डालते हैं और केवल यौन पर ही ध्यान केन्द्रित नहीं करते तब आप अपने आपको मजेदार यौन जीवन बिताने के लिए आजाद महसूस करते हैं। आप पर हमेशा अपने यौन संबंध को शानदार बनाने का दबाव नहीं रहता है (क्योंकि वह नहीं रहेगा ) फिर भी, मैं नहीं सोचता हूँ कि एक कॉलेज में जानेवाले लड़के की उम्र में मैं यौन पर ध्यान केन्द्रित नहीं करने में तभी सफल हो पाऊंगा जबकि वह वहाँ पर बिल्कुल भी उपस्थित न हो।
मुझे पता है कि आप क्या सोच रहे हैँ: “जी हाँ, आप सही सोच रहे है।“ पर यह सच है। वास्तव में, एक प्रकार से यौन ने ही मुझे उस कुछ को खोजने में मेरी सहायता की जो उसे आगे बढ़ाता है। वह “कुछ” वास्तव में वैसा “कुछ” नहीं है, वह “कोई” है। वह ईश्वर है।
इसके बारे में आप मुझसे सुनिए। मैं जानता हूँ सुनने में ऐसा लगेगा जैसे इसे पाना दूर की बात है। पर पूरी चीज का कोई न कोई अर्थ है। प्रभु ने हमें इस तरह बनाया है कि हम उसके सिवा किसी भी चीज से परम संतुष्टि नहीं पा सकते हैं। उसने मनुष्य की जीवन शैली में और हममें से हरेक की जीवन शैली में इसे निर्मित कर दिया है। जैसा कि एक मनुष्य ने कहा है, “ हर मनुष्य के अंदर ईश्वर के आकार का एक खालीपन रहता है जिसे केवल ईश्वर ही भर सकता है।”
इसीलिए हम देखते हैं कि लोग अपना व्यवसाय, सहसाथी, फैशन और काफी कुछ बदलते हैं – क्योंकि हमारी परम संतुष्टि की पूर्ति के दौरान, हम उन चीजों से ( लोगों से ) निराश हो जाते हैं जो हमारे लिए उपलब्ध नहीं की गई हैं। अतः हम उन्हें इस आशा में छोड़ देते हैं कि हमें उस प्रकार की परम पूर्णता प्राप्त होगी जिस प्रकार की पूर्णता को हम खोज रहे हैं और किसी और चीज को ( या किसी को ) पाने के लिए आगे बढ़ जाते हैं। पर समस्या यह है कि वह पूर्णता हमें कहीं नहीं मिलती जबतक कि हम उसके लिए ईश्वर के पास नहीं आ जाते। केवल ईश्वर ही हमें वह परम पूर्णता दिला सकता है।
ईश्वर हमें बहुत प्यार करता है। वह हमें उसके सिवा किसी भी तरह से पूरी तरह से संतुष्ट देखना चाहता
है। वह हमारे लिए श्रेष्ठ चाहता है। इसका अर्थ है वह खुद । कोई भी या कोई भी वस्तु ईश्वर से अधिक जरूरी नहीं है। मैं जानता हूँ कि यह सत्य है क्योंकि मैंने खुद इसका पता लगाया है। जो खालीपन मुझमें था – यह और वह सबकुछ खरीदने के बाद, यौन की हरकतों के बाद, परम पूर्ति के मेरे सभी प्रयासों के बावजूद खत्म नहीं हुआ – पर जब मैंने ईश्वर को अपने जीवन में आमंत्रित किया तो मेरा खालीपन खत्म हो गया । विशेष रूप से, जब मैंने ईसामसीह को अपने जीवन में शामिल किया। प्रभु ईसामसीह ने कहा, “ जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा।” ( यूहन्ना 6:35 ) उनके ये शब्द मेरे जीवन में सच साबित हुए। जब मैंने ईश्वर के साथ रिश्ता बनाया तो मेरे अंदर ईश्वर के आकार का जो खालीपन था वह आखिरकार भर गया। उसके बाद फिर कभी मुझे वह खालीपन महसूस नहीं हुआ। फलस्वरूप, ईश्वर को जानने के बाद मुझे गहरी संतुष्टि प्राप्त हुई जो यौन मुझे कभी नहीं दे सका।
मुझे यौन किए हुए कई साल हो गए। काश ! मैं यह कह सकता कि मैं पूरी तरह शादी का इंतजार कर रहा था, लेकिन नहीं। मुझे पछतावा है ( जैसा कि मैंने पहले कहा, बजाय किसी क्षणिक आनंद के, वह बहुत समय तक साथ रहे ) जिस तरह मैं लड़कियों के साथ पेश आया, मुझे उसका भी पछतावा है। मुझे भविष्य की अपनी शादी की चिन्ता है (अगर कभी, जब मेरी शादी होगी ) मेरे अतीत के कर्मों के साथ निपटने में और भविष्य की चिंता करने में ईश्वर ने मेरी मदद की। वह मुझे परिवर्तित करने में लगा रहा और उसने मुझे अबतक बहुत कुछ बदल भी दिया है।
इसके अलावा परमेश्वर ने मुझे यह योग्यता दी है कि फिर से यौन के लिए शादी का इंतजार किया जाए। बहुत बार यह अपने आप से एक लड़ाई होती है, पर ईश्वर ने अपने बड़प्पन के साथ मुझे इससे उबारा। उसके साथ सबकुछ संभव है। हर दिन, सप्ताह, साल जो बीतता जाता है मैं जानता हूँ कि किसी दिन मेरी शादी भी बेहतर और मजबूत होगी क्योंकि मैंने इंतजार किया। आज ईश्वर के साथ मेरा रिश्ता बहुत मजबूत है क्योंकि मेरे जीवन के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में एक आदमी की तरह मैं ईश्वर पर आश्रित रहा।
अगर आप कभी रिश्तों को निभाने में सफल होना चाहते हैं – एक पति और पिता की तरह – तो शुरुआत
की सबसे अच्छी जगह खुद से है। तरकीब, सही पत्नी या सही बच्चे पाने में नहीं है बल्कि सही चाबी, खुद से शुरुआत करने में है। सबसे जरूरी रिश्ता जो आप पा सकते हैं – जो आपको एक बेहतर पति और पिता बनाएगा – वह है ईश्वर के साथ रिश्ता।
आमतौर पर ईश्वर यौन, प्रेम और रिश्तों के रचयिता हैं। उन्होने इन चीजों की रचना हमारे मनोरंजन के लिए की। ईश्वर ने जो योजना हमारे लिए बनाई है यदि हम उनका अनुसरण करें तो हम पूरी तरह उनका आनंद उठा सकते हैं। परमेश्वर “ आदर्शवादी ” नहीं है। वह बिना कारण यह नहीं कहते “ यह करो ” या “ यह मत करो। “ जब वह यह कहते हैं “ यह मत करो ” ( उदाहरणस्वरूप, यौन के लिए शादी तक इंतजार करो ) वह ऐसा इसलिए नहीं कह रहे हैं ताकि यह बता सकें कि मालिक कौन है बल्कि वह ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ऐसा करना मेरे लिए अच्छा है। वह ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि मेरे लिए क्या सबसे अच्छा है और मुझे क्या चीज सबसे ज्यादा पूर्णता प्रदान करेगी। मुझे आदमी भी उन्होंने ही बनाया है।
बाइबल कहती है कि ईसामसीह ईश्वर थे जो कि मनुष्य बने – “ उनके वचन हाड़ माँस बने और हमारे साथ उन्होंने हमारे साथ अपना जीवन व्यतीत किया। ” वे “ ईश्वर के होने का ठोस प्रतिरूप थे। ” संक्षेप में ईसामसीह ने ईश्वर जैसे हैं, उसी को प्रकट किया। अतः हम उनके साथ रिश्ते की शुरुआत कैसे कर सकते हैं ?
ईश्वर हमसे विशुद्ध प्रेम करते हैं और वे चाहते हैं कि हम उसे जानें। पर इसमें एक समस्या है। सामान्य रूप से हमे उनसे जोड़ने में हमारे और उनके बीच हमारा पाप खड़ा है। ( ईश्वर और दूसरों को पूरी तरह से प्रेम करने के बीच हमारी असफलता है। )
अतः ईसामसीह (हाड़ माँस के रूप में ईश्वर) ने हमारे सभी पापों का बोझ अपने कंधों पर ले लिया और खुशी से वे शूली पर चढ़ गए। उन्होंने यह इसलिए किया ताकि हमें पूरी तरह क्षमा मिल सके और उनके द्वारा हमें पूर्ण रूप से स्वीकारा जा सके। उन्होंने मार खाकर, कोड़े खाकर, खुद को प्रताड़ित करवाकर और शूली पर चढ़कर हमारे लिए अपना महान बलिदान दिया। उसके तीन दिनों के बाद, वे मरकर
पुनर्जीवित हुए। अब वे हमसे कहते हैं कि उनके बलिदान का प्रतिदान हम उन्हें अपने जीवन में निमंत्रित करके दें।
पृथ्वी पर जीवित लोगों में ईसामसीह सबसे अधिक पौरुषवाले मनुष्य थे। लोग इसके लिए बहुत ज्यादा श्रेय उन्हें नहीं देते हैं, पर यह सच है। अतः आप जब उनसे अपने जीवन में आने के लिए कहेंगे, तो आप समझ जाइएगा कि आप ऐसे एक आदमी से कह रहे हैं जो एक आदमी होने का मतलब किसी भी दूसरे आदमी से ज्यादा जानता है। वे आपको एक वास्तविक मनुष्य बनाने में आपकी मदद करेंगे – हॉलीवुडवाला आदमी नहीं – बल्कि उससे भी ज्यादा, जो अपने जीवन में पूरी पूर्णता को प्राप्त कर ले और जो दूसरों के जीवन के लिए मूल्यवान हो।
वह वास्तविक आदमी दिखने में कैसा लगता है? वह एक भेड़िए के जैसा तो नहीं दिखता ( कोई ऐसा जो सिर्फ स्वयं को ढूँढ़ रहा हो ) इसके अलावा, वह चरवाहे के जैसा ज्यादा दिखता है – कोई जो दूसरों की सलामती की चौकसी करता है। जब आप ईसा के साथ रिश्ते में आगे बढ़ते हैं, तब आपको ज्यादा से ज्यादा पता चलता है कि वास्तविक मनुष्य का अर्थ क्या होता है। जिस तरह आप औरतों के बारे में सोचते हैं, ईसा आप की उस विचारधारा को परिवर्तित कर देते हैं। उसके फलस्वरूप औरतों के प्रति आपका व्यवहार बदल जाता है।
आप ईसा के साथ जो रिश्ता शुरू करते हैं वह हमेशा स्थायी रहता है। “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्ना 3:16) आस्था का अर्थ है भरोसा। जब आप ईसा पर भरोसा करते हैं कि उन्होंने आपके लिए बलिदान दिया तो आपको अनन्त जीवन प्राप्त होता है। ईश्वर के साथ एक रिश्ता जो अब शुरू हो रहा है, उसे आपको पूरी जिन्दगी निभाना होगा। यदि अब यह आपकी हार्दिक इच्छा है और जो शब्द आप निष्ठापूर्वक ईश्वर से कहना चाहते हैं तो उसके लिए नीचे आपको दिशानिर्देश दिया गया है:
प्रप्रिय ईश्वर, मैं स्वीकार करता हूँ कि मैंने आपके प्रति पाप किया है। मेरे सभी पापों को अपने ऊपर लेकर शूली पर चढ़ने के लिए धन्यवाद। मैं आपकी क्षमा चाहता हूँ। मैं आपके साथ एक रिश्ता बनाना चाहता हूँ। मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप मेरे जीवन में मेरे रक्षक और मेरे मालिक बन कर आएँ। कृपया मुझे वैसा आदमी बनाइए, जैसा आप चाहते हैं।
► | मैंने यीशु को अपने जीवन में आने के लिए कहा (कुछ उपयोगी जानकारी इस प्रकार है) … |
► | हो सकता है कि मैं अपने जीवन में यीशु को बुलाना चाहूँ, कृपया मुझे इसके बारे में और समझाएँ… |
► | मेरा एक सवाल है … |